1- अल्लाह
ने आदम अलैहिस्सलाम को पूरी ज़मीन पर अपनी
ख़लीफ़ा बनाया और उनको ज़मीन का वारिस बनाया उनके बारे में क़ुरआने करीम में आया
है
انی جاعل فی الارض
خلیفة यानी मैं ज़मीन पर ख़लीफ़ा बनाने
वाला हूँ।[1]
अल्लाह ने
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम को भी ज़मीन का वारिस और ज़मीन पर अपना ख़लीफ़ा बनाया
है। कुरआने करीम की आयत है कि
وعد الله الذین آمنوا منکمو عملوا
الصلحات لیستخلفنهم فی الارضअल्लाह ने वादा किया है कि तुम में से जो ईमान लाये और नेक
अमल अंजाम दिये हम उनको ज़मीन पर ज़रूर ख़लीफ़ा बनायेंगे।
हज़रत इमाम
सादिक़ अलैहिस्सलाम ने इस आयत की तफ़्सीर में फ़रमाया कि इस आयत में जो यह कहा गया
है कि (तुम में से जो ) इससे मुराद क़ाइम व उनके असहाब है। वह ज़हूर के वक़्त
मक्के में अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहेंगे कि उस अल्लाह का शुक्र है जिसने
हमसे किये हुए वादे को पूरा किया और ज़मीन को हमारी विरासत में दे दिया।[2]
2- हज़रत
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है कि अल्लाह ने आदम को तमाम असमा की तालीम दी।
क़ाइम को वह भी सिखाया गया जो आदम को बताया गया था और उसके अलावा भी बहुत कुछ
बताया गया। क्योंकि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने इस्मे आज़म के पच्चीस हरूफ़ सीखे थे
और पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने 72000 सीखे थे। जो चीज़े पैग़म्बरे इस्लाम (स.) को दी
गईं थी वह उनके वसियों को भी दी गई है और उनमें हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम भी
हैं।
सिक्कतुल
इस्लाम शेख़ कुलैनी (अ.र) ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक सही हदीस नक़्ल
फ़रमाई है जिसमें आपने बयान फ़रमाया कि जो इल्म हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को दिया गया
था, उसको वापस नही लिया गया। कोई आलिम ऐसा नही है जिसने अपने इल्म को विरासत के
तौर पर न छोड़ा हो। ज़मीन आलिम के बग़ैर बाक़ी नही रह सकती।[3]
3- हज़रत
आदम अलैहिस्सलाम ने ज़मीन को अल्लाह की इबादत से ज़िन्दा किया क्योंकि जिन्न उसको
कुफ़्र व बग़ावत के ज़रिये मुर्दा बना चुके थे।
इसी तरह
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम भी ज़मीन को अल्लाह के दीन, इबादत और अदालत के ज़रिये
ज़िन्दा करेंगे, जबकि वह कुफ़्र, ज़ुल्म व गुनाहों की वजह से बे जान हो चुकी होगी।
बिहारुल
अनवार में यह रिवायत मौजूद है कि हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने
क़ुरआने करीम की इस आयत یحی الارض بعد موتهاयानी ज़मीन को उसकी मौत के बाद ज़िन्दा करेगा।[4], की तफ़्सीर में फ़रमाया कि
अल्लाह हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़रियें ज़मीन को उसकी मौत के बाद ज़िन्दा
करेगा। यहाँ पर ज़मीन की मौत से मुराद उस
पर काफ़िरों का बढ़ जाना है, क्योकि काफ़िर हक़डीक़त में मुर्दा है। [5]
वसाइलुश
शिया में हज़रत इमाम मूसा इब्ने ज़ाफ़र अलैहिमा अस्सलाम की रिवायत नक़्ल हुई है कि
یحی الارض بعد موتهاयानी ज़मीन को उसकी मौत के बाद ज़िन्दा करेगा। इसका मतलब यह
नही कि वह बारिश से ज़मीन को ज़िन्दा करेगा बल्कि मतलब यह है कि अल्लाह कुउछ ऐसे
लोगों को चुनेगा जो अदालत को ज़िन्दा करेंगे। और ज़मीन अदालत के ज़िन्दा होने से
ज़िन्दा होगी। बहे शक अगर ज़मीन पर एक हद्द जारी हो जाये तो वह वहल चालीस दिन की
बारिश से ज़्यादा बेहतर है।[6]वसाइलुश शिया में पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की यह हदीस
भी मौजूद है कि इमामे आदिल का एक घंटे का वजूद, सत्तर साल की इबादत से बेहतर है और
ज़मीन पर अल्लाह के लिए एक हद का जारी होना, चालीस दिन की बारिश से बेहतर है।