सवाल- अगर इमाम महदी अलैहिस्सलाम की हुकूमत अच्छी
हुकूमत है तो मुनाफ़िक़ किस तरह ज़लील होंगे ? क्या इमाम अली अलैहिस्सलाम की हुकूमत अच्छी
हुकूमत नही थी, जिसमें मुनाफ़िकों ने अपनी जगह बनाई और इमाम अली अलैहिस्सलाम
को ख़ाना नशीन कर दिया ?
जवाब- हुकूमत कई तरह से अच्छी होती है, जैसे हाकिम
अच्छा हो, हुकूमत के क़ानून शरई हों, जनता के साथ हुकूमत का सलूक अच्छा हो या
हुकूमत में अदालत पाई जाती हो।
तमाम मासूमीन अलैहिमु अस्सलाम की
हुकूमत अच्छी हुकूमत है, इमाम महदी (अज.) की हूकूमत पूरी दुनिया पर होगी, उसमें
उसमें अदालत,शरीअत के क़ानून और अल्लाह का नूर हाकिम होगा। लेकिन गुनाह व गुमराही
भी बाक़ी रहेगी। अहले बैत अलैहिमु अस्सलाम की रिवायतों से पता चलता है कि दज्जाल का
ख़रूज इमाम महदी (अज.) की हुकूमत के ख़िलाफ़ ही होगा। यहूदियों व नासिबी लोग जमा
होकर एक दूसरे की मदद करेगें और इमाम की हुकूमत के ख़िलाफ़ जंग करेंगे।
सवाल- इमाम महदी (अज.) कब और कहाँ ज़हूर करेंगे
?
जवाब- इमाम महदी (अज.) के ज़हूर का वक़्त
मुऐयन(निश्चित नही है। उनके ज़हूर के वक़्त को मुऐयन करने वाला झूठा है।
फ़ज़ील का कहना है कि मैं ने
हज़रत इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम से सवाल किया कि क्या इमाम महदी अलैहिस्सलाम के
ज़हूर का वक़्त मुऐयन है। हज़रत ने मेरे जवाब में फ़रमाया कि जो ज़हूर के वक़्त को
मऐयन करे वह झूठा है।
बिहारुल अनवार जिल्द न.52 पेज न. 103
महम्मद बिन मुसलिम का कहना है कि
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने मुझसे फ़रमाया कि जो तुम्हारे लिए इमाम के ज़हूर
का वक़्त मुऐयन करे उसको झुठलाने में न झिजको, क्योंकि हम ज़हूर का वक़्त मुऐयन नही
करते।
बिहारुल अनवार जिल्द न. 52 पेज न. 104 व 117
लिहाज़ा हज़रत के ज़हूर का वक़्त
क़ियामत की तरह मुऐयन नही है और जो कोई वक़्त मुऐयन करे वह झूठा है।
कुछ रिवायतों में इतना ज़रूर
मिलता है कि आप जुमे के दिन ज़ोह्र के वक़्त ज़हूर करेंगे। जिन रिवायतों बयान किया
गया है कि वह आशूर के दिन या ईदे नौरोज़ को ज़हूर करेंगे वह भी सही हो सकती हैं
क्योंकि यह तीनों चीज़े एक दिन में जमा हो सकती हैं।
हाँ, इमाम महदी (अज.) के ज़हूर की
जगह मुऐयन है वह यक़ीनी तौर पर मक्के में ज़ाहिर होंगे।
मुफ़ज़्ज़ल ने हज़रत इमाम सादिक़
अलैहिस्सलाम से पूछा कि मेरे मौला इमाम महदी अलैहिस्सलाम कहाँ पर और किस तरह ज़हूर
करेंगे ? तो हज़रत ने जवाब दिया कि ऐ मुफ़ज़्ज़ल वह बतनों में ज़हूर
करेंगे, वह बतन ख़ाना ए काबा के पास आयेंगे व बतन रात वही गुज़ारेंगे।
बिहारुल अनवार जिल्द 53 पेज न. 7
सवाल- इमाम महदी अलैहिस्सलाम किन हालात में और कहाँ
पैदा हुए।
जवाब- इमाम महदी अलैहिस्सलाम की पैदाईश के हालात आम
नही थे। चूंकि पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमाया था कि " वह महदी -ए - आले मुहम्मद जो ज़ालिमों का ख़ात्मा करके ज़मीन को अद्ल से भरेगा,
इमाम हसन अस्करी का बेटा होगा। " इस लिए बनी अब्बास के ख़लीफ़ाओं
ने हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम को सामरा नामक शहर में नज़र बन्द कर दिया था।
ख़लीफ़ा का मकसद यह था कि अगर उनके कोई बेटा पैदा हुआ तो उसे क़त्ल कर देंगे। जिस
तरह फ़िरौन हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को क़त्ल करने की फ़िक्र में था।
इस तरह के ख़ौफ़ के हालात में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम
पोशीदा तौर पर दुनिया में तशरीफ़ लाये। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की पैदाइश के बारे
में हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की फुफी जनाबे हकीमा
ख़ातून का बयान है कि एक रोज़, मै हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के पास गई, तो
आपने फ़रमाया की ऐ फुफी आप आज हमारे ही घर में रहिये, क्योंकि ख़ुदा वन्दे आलम आज
मुझे एक वारिस अता फ़रमायेगा। मैने कहा कि यह फ़रज़न्द किसके बतन से होगा ? आपने फ़रमाया कि
नरजिस के बतन से मुतावल्लिद होगा। जनाबे हकीमा ने कहा ! बेटे मै तो नरजिस
में हम्ल के कुछ भी आसार नही पाती हूँ
! इमाम ने फ़रमाया कि ऐ फुफी
नरजिस की मिसाल मादरे मूसा जैसी है। जिस तरह हज़रत मूसा का हम्ल विलादत के वक़्त से
पहले ज़ाहिर नही हुआ था, उसी रतह मेरे फ़रजन्द का हम्ल भी बर वक़्त ज़ाहिर होगा।
ग़रज़ कि इमाम अलैहिस्सलाम की खवाहिश पर मैं उस शब वहीं रहीं। जब आधी रात गुज़र गयी
तो मै उठी और नमाज़ तहज्जुद में मशग़ूल हो गई, और नरजिस भी उठ कर नमाज़े तहज्जुद
पढ़ने लगी। उसके बाद मेरे दिल मे यह ख़्याल आया कि सुबह क़रीब है और इमाम हसन असकरी
अलैहिस्सलाम ने जो फ़रमाया था, वह अभी तक ज़हिर नही हुआ। इस ख़्याल के दिल में आते
ही इमाम अलैहिस्सलाम ने अपने हुजरे से आवाज़ दी ! ऐ फुफी जल्दी न किजिये, हुज्जते ख़ुदा के ज़हूर का
वक़्त बिल्कुल क़रीब है। यह सुन कर मै नरजिस के हुजरे की तरफ पलटी, नरजिस मुझे
रास्ते ही में मिली, मगर उनकी हालत उस वक़्त मुता-ग़य्यर थी। वह लरज़ा बर अन्दाम
थीं, उनका सारा जिस्म कांप रहा था।
(अल बशरा, शराह मुवद्दतुल क़ुरबा सफ़ा 139)
मैंने यह देखकर उनको अपने सीने से लिपटा लिया और
“ सूरए क़ुल, इन्ना अनज़लना, व आयतल कूर्सी ” पढ़ कर उन पर दम किया, तो बतने मादर से बच्चे की आवाज़
आने लगी। यानी जो कुछ मै पढती जा रही थी, वह बच्चा भी बतने मादर मे वही पढ रहा था।
उस के बाद मैंने देखा कि तमाम हुजरा रौशन व मुनव्वर हो गया। मैंने देखा कि एक
मौलूदे मसऊद ज़मीन पर सजदे में पडा हुआ है। मैने बच्चे को उठा लिया। हज़रत इमाम हसन
अकरी अलैहिस्सलाम ने अपने हुजरे से आवाज़ दी, ऐ फुफी ! मेरे फ़रज़नद को
मेरे पास लाईये। मैं ले गई। आपने अपनी गरदन पर बैठा लिया औ अपनी ज़बान बच्चे के
मुहँ मे दे दी और फ़रमाया कि ऐ फ़रज़न्द
! खुदा के हुक्म से बात
करो। बच्चे ने इस आयत की तिलावत की بسم الله الرحمن الرحيم ونريد ان نمن علي الذين استضعفوا في الارض ونجعلهم الائمة ونجعلهم الاوارثين तर्जुमा यह है कि हम
चाहते है कि एहसान करें उन लोगों पर जो ज़मीन पर कमज़ोर कर दिये गये हैं और उनको
इमाम बनायें और उन्हीं को रू – ए- ज़मीन का वारिस क़रार दें।
इसके बाद कुछ सब्ज़ तायरों ने आकर हमें घेर लिया, इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने
उनमें से एक को बुलाया और बच्चे को देते हुए कहा قد كفا حفظه इस को ले जाकर इस की हिफ़ाज़त करो। यहाँ तक
कि ख़ुदा इसके बारे में कोई हुक्म दे। क्योंकि खुदा अपने हुक्म को पूरा करके रहेगा।
मैने इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम से पूछा कि यह तायर कौन थे ? आपने फ़रमाया कि यह जिब्रईल थे और वह दूसरे, फ़रिश्त
-ए- रहमत थे। इसके बाद फ़रमाया कि ऐ फुफी ! इस फरज़न्द को उसकी
माँ के पास से ले जाओ ताकि उस की आखें ठंडी हो जाये और वह महज़ून व मग़मून न हो और
यह जान लो कि खुदा का वादा हक़ है و اكثرهم لا يعقلون
लेकिन अक्सर लोग इसे नही जनते इसके बाद इस मौलूदे असऊद को उसकी माँ के पास पहुँचा
दिया गया।
सवाल
– क्या
मुन्जी ए जहान (पूरी दुनिया का सुधारक) का अक़ीदा केवल शियों में पाया जाता है ?
जवाब- यह अक़ीदा शियों से ही सम्बन्धित नही है, बल्कि
सभी धर्मों व मज़हबो में पाया जाता है।
अहले सुन्नत के यहाँ हज़रत इमाम त बहुत सी हदीसें पाी जाती
हैं। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के सम्बन्ध में शियो व सुन्नियों के बीच केवल यह
फ़र्क़ पाया जाता है कि सुन्नी कहते हैं कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम पैदा होंगे
व शिया कहते हैं कि वह पैदा हो चुके है और ज़िन्दा हैं परन्तु ग़ैबत में जीवन
व्यतीत कर रहे हैं।
यह अक़ीदा इस्लाम के अलावा अन्य धर्मों में भी पाया जाता है
जैसे----
1- ज़रतुशत
ज़रतुशतियों की मज़हबी किताब ज़न्द में उपद्रवियों के समापन
व नेक लोगों की हुकूमत के बारे में वर्णन हुआ है कि अहरमीनान का लशकर इज़दान के
लशकर से हमेशा जंग करता रहता है और अक्सर अहरेमनों की जीत होती है लेकिन इस तरह नही
कि वह इज़दान का बिल्कुल सफ़ाया ही करदें, कुछ दिनों के बाद आसमान के ख़ुदा उरमज़्द
की तरफ़ से, उसके बेटे इज़दान के पास मदद आयेगी और उनकी जंग नौ हज़ार साल तक चलती
रहेगी उसके बाद इज़दान की जीत होगी और अहरमीनान का सफ़ाया हो जायेगा। अहरमीनान का
इक़्तेदार (वर्चस्व) तो केवल ज़मीन पर ही है, असमान पर उनका वजूद नही है।
जामासब नामे में उल्लेख हुआ है कि हाशिम की औलाद से एक इंसान
ज़मीन से बाहर निकलेगा, जिसका सर, पिंडलियां और ज़िस्म बड़ा होगा और वह अपने जद्द
(पूर्वज) के धर्म पर होगा..........।
इसी किताब में एक दूसरी जगह पर उल्लेख हुआ है कि सोशियानिस(
सबसे बड़ा निजात देने वाला) दीन को दुनिया में फैलायेंगा, भुख मरी को समाप्त करेगा
इज़दान को अहरीमन के हाथो से बाचायेगा और दुनिया के तमाम लोगो के कल्चर, फ़िक्र और
किरदार को एक बना देगा।
2- हिन्दु
शाक मुनी जो कि काफ़िर हिन्दुओं का सरदार है और उसके अनुयायी
उसको आसमानी किताब के साथ पैग़म्बर मानते हैं, उसने अपनी किताब में आखिरी ज़माने
में एक रूहानी के झंडे सभी धर्मों के एक हो जाने की ओर इशारा किया है।
वह लिखता है कि दुनिया के ख़राब हो जाने के बाद, आख़िरी
ज़माने में एक बादशाह पैदा होगा जो पूरी दुनिया के लोगों का रहबर होगा, उसका नाम
मनसूर होगा, वह पूरी दुनिया पर हुकूमत करेगा और सबको अपने दीन में शामिल कर लेगा।
3- ज़बूर
में है कि शरीरों (उपद्रवियों) का ख़ात्मा हो जायेगा और अल्लाह का
इन्तेज़ार करने वाले ज़मीन के वारिस बनेंगे। हाँ कुछ समय बाद कोई शरीर बाक़ी नही
रहेगा।
उसकी जगह के बारे में तुम ताम्मुल करोगे और नही कर पाओगे।
लेकिन हलीम लोग ज़मीन के वारिस बनेंगे ..........और ज़मीन पर उनकी विरासत हमेशा
रहेगी।
4- यहूदी
तौरैत में है कि बाग़ में
एक नया दरख़्त उगा है. उसकी शाखें उसकी जड़ से फले फूलेंगी और अल्लाह की रूह उस पर
रुकेगी। वह मिसकीनों के लिए अदालत के साथ फैसला करेगा और मज़लूमों के लिए ज़मीन पर
सच्ची हुकूमत करेगा।
5- ईसाई
इंजील में है किअपनी कमर को बाँध लो और अपने चिराग़ों को
रौशन रखो और रात में इस तरह रहो जैसे कोई अपने मालिक का इन्तेज़ार करता है
.......कितने ख़ुश नसीब हैं वह ग़ुलाम, जिनका मालिक आने के बाद उनको जागता हुआ
पाये,........बस तुम भी तैयार रहो, क्योंकि इंसान का बेटा उस समय आयेगा जिसके बारे
तुम्हें गुमान भी न होगा।